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लेखनी ,# कहानीकार प्रतियोगिता # -01-Jul-2023 मेरा बाप मेरा दुश्मन (भाग 29 )

           

                          मेरा बाप मेरा दुश्मन (भाग 29)

               अब तक आपने पढ़ा  कि तान्या व विशाल की भागकर  कर शादी करने के बाद तान्या के रमला का जन्म  लेना व तान्या के मम्मी पापा का आत्महत्या करना जिससे तान्या की टैन्शन से मौत होजाना। इसके बाद  विशाल  की सारिका से शादी होना ।        


         सारिका का अपनी सहेली सलौनी के साथ मिलकर रमला के साथ साजिस करना। विक्रम  के द्वारा रमला के साथ झूंठा प्यार का नाटक करना। भेद खुलने के बाद रमला से दूर भागना। सारिका ने रमला की एक उम्र मे बड़े  लड़के के साथ रमला की शादी करवा देना । इससे आगे की कहानी इस भाग में पढ़िए।


           रमला का पूरा बदन बहुत ही बुरी तरह पीडा़ से कराह रहा था। अब उसकी  समझ मे आरहा था कि  उसके साथ बहुत बडी़ साजिस  रची गयी है।


       रमला जितना सोचने की कोशिश करती उतना ही वह परेशान हो जाती थी।उसका बदन सूखे पत्ते की तरह काँप रहा था।


     उसी समय विवेक  नींद से जाग चुका था।  विवेक  ने अपने कपडे़ ठीक किये और बैठ गया।


    रमला:  आप कौन है मुझे यहाँ कैसे लाया गया मै तो होटल में थी। ?


विवेक :" क्या हुआ ? तू भूल गयी अरे कल ही तो हमदोनौ की शादी हुई है । मै तुम्हारा पति हूँ अब तुम मेरी पत्नी हो। रात को हमारी सुहागरात थी।"


रमला:  "तुम झूठ बोल रहे हो तुम तो मेरे अंकल जैसे हो ? मेरे साथ धोका हुआ है। "


विवेक:- "तुम्है मैने पूरे दो लाख में खरीदा है यह हमारी शादी की फोटो है। "


         इतना कहकर विवेक ने अपने मौबाइल में लीगयी फोटो रमला को दिखाई।रमला फोटो को देखकर सोचने लगी यह फोटो तो ठीक है परन्तु  मुझे तो कुछ भी याद नहीं आरहा है कि यह शादी कब व कैसे हुई थी।


        फोटौ मै रमला के पापा व मम्मी भी थे। रमला सोचरही थी कि मम्मी से तो ऐसी आशा थी परन्तु पापा ने मेरे साथ ऐसा कैसे कर दिया।


विवेक:-= अब अधिक सोचने से कोई लाभ नही होगा । यह सब तेरे पापा ने किया है यदि विश्वास न हो तो तेरी बात करबा देता हूँ तू स्वयं अपने पापा से पूछले। "


       इतना कहकर विवेक ने  रमला के पापा विशाल का फौन लगा दिया।और विवेक ने फौन का स्पीकर आन कर दिया।


      उधर से आवाज आई ," बोलो विवेक क्या बात है ? सब कुशल है ? रमला ठीक है ? "


      विवेक:-= "आप रमला से बात करलो और उसीको पूछलो। वह कैसी है?"


रमला :- "पापा आपने ये क्या कर डाला। मै आपकी बेटी थी कोई गैर नहीं थी।एक बार मुझे पूछ तो लिया होता। आपने यह बेमेल शादी कैसे करदी।और ये कहरहे है ----- ।" रमला आगे कुछ बोलती उससे पहले विवेक ने फौन काट दिया।


   विवेक बोला,"  बस कर अब विश्वास होगया होगा यह शादी तेरे पापा ने ही की है ।एक बात कान खोलकर सुन लेना यहाँ से भागने की कोशिश मत करना नही तो तेरी वह हालत बनादूँगा कि सात जन्म तक याद रहेगी। "


      रमला की समझ में सब आचुका था कि वह बुरी तरह फस गयी है। यहाँ से निकलना बहुत कठिन है।


      विवेक इतना कहकर चला गया।  उस घर के मैन गेट पर एक  गार्ड भी बिठा दिया था क्यौकि उनको रमला के भागने का डर था। रमला का मौबाइल भी छीन लिया गया था। यह कहाजाय तो गलत नही था कि रमला एक   कैदी जैसी  थी। अन्दर एक बुजुर्ग औरत अवश्य थी जो रमला की सहायता के लिए  थी।


     खाना  बाहर से ही आया था। उस बुजुर्ग  औरत ने ही रमला को नहाने के लिए बोला था।रमला बहुत कठिनाई से नहा सकी थी।  नहाने के बाद उसका बदन फ्रैस हुआ था।


       खाना आने के बाद वही औरत खाना लेकर आई और रमला को खाना खाने के लिए कहा। रमला बोली ,"नही दादी मुझे भूख नही है आप खालो।"


वह बूढी़ औरत बोली,"बेटी खाना तो खाना ही होगा।  इस पेट के लिए ही तो हम बुरे भले काम करते है। और जब खायेगी नही तो जीयेगी कैसे ? इसलिए खाना कभी मत छोड़ना।तूने मुझे दादी बोला है इसलिए समझा रही हूँ। "


रमला की आँखौ में आँसू आगये और बोली," मैने अपनी दादी को कभी भी नहीं देखा बस उनके बिषय में सुन रखा था।आपकी बात माँनूँगी और खाना कभी नही छोडू़गी।"


      रमला ने जितनी भूख थी उतना खाना खाया।और बैड पर लेट गयी।


          रमला को अपनी किस्मत पर कभी हसी आती थी कभी रोना आरहा था। अब वह यहाँ से किसी भी तरह भागना चाहती थी।


      कुछ देर बाद रमला उस मकान का मुयाना करने लगी वह यह देख रही थी कि कहीं से भागने की जगह है अथवा नही वह छत पर भी गयी थी परन्तु उसे यहाँ से भागने की कोई जगह दिखाई नहीं पडी़।


       रमला का वहाँ अकेले में दम घुटने लगा था।  पूरे दिन दिल में बुरे खयाल आते रहे कभी कभी आत्म हत्या करने का खयाल आता था।परन्तु पुनः सोचती मै ऐसा कभी नही करूँगी। मै लडू़गी और इन सब को सजा दिलाकर रहूँगी।


      अब रात होने को आई थी खाना बाहर से ही आया था। उसने खाना बहुत मुश्किल से खाया।


       विवेक रात को आया।आज भी वह शराब पी कर आया था  उसके मुँह से रमला के लिए भद्दी गालिया निकल रही थी।


       विवेक ने आते ही रमला को परेशान करना शुरू कर दिया  वह रमला के कपडे़ उतारने लगा  । रमला आज होश में थी लेकिन वह करभी क्या सकती थी  वह शराब के नशे  में ही पूरी रात उसके साथ अत्याचार करता रहा।


      रमला के बस में कुछ नही था।अब उसे अपने बाप पर बहुत क्रोध आरहा था  ।


 


     रमला के साथ अब यही होता था दिन में तो सब कूछ ठीक रहता रात होते ही उसकी परेशानी बढ़जाती।  वह अपना दुःख किसी को बता भी नही सकती थी।


         ,  क्रमशः आगे की कहानी अगले भाग में पढ़िए। 


कहानीकार  प्रतियोगिता  हेतु रचना।

नरेश शर्मा " पचौरी"

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2 Comments

Mukesh Duhan

02-Aug-2023 05:22 PM

बहुत सुंदर जी

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Varsha_Upadhyay

02-Aug-2023 04:50 PM

शानदार

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